| चाहे कितनी ही गिराले तू बिजलियाँ मुझ पर |
| मै ना बिखरा था कभी और ना टूटूंगा कभी |
| गम के सागर में वो तूफ़ान तो आने दे "रमेश" |
| तेरी कश्ती में उस रोज ही मै बैटूंगा तभी . |
| ...रमेश शर्मा.. |
Wednesday, 30 November 2011
चाहे कितनी ही गिराले तू बिजलियाँ मुझ पर
हमने गफलत में लुटा दी है जवानी अपनी..
| हमने गफलत में लुटा दी है जवानी अपनी.. |
| लेकिन बाकि है अभी और कहानी अपनी.. |
| चाहने वाले मेरे और कई बाकी है "रमेश" |
| मेरे किरदार की अब भी है दीवानी कितनी... |
| ...रमेश शर्मा... |
आज का इन्सान
| आओ यारो देखलो तुम भी, मुखड़ा इश शैतान का . |
| बांध पुलन्दा बेच रहा है अपने ही ईमान का ...ये है बेशरम ये है बेशरम . |
| झूट बोल कर दौलत इसने ,बेशुमार कमाई है |
| पुत्र कलत्र न यारो इशके, नाही कोई सगा ही है |
| ... आँख मूँद कर बैठा है ज्यों, स्वान शिशु का भाई है |
| मन में नाम हरी का जपता, मिथ्या देत दुहाई है |
| पाप की गठरी बांध रहा है, ना डर है भगवान का.... |
| बांध पुलन्दा बेच रहा है अपने ही ईमान का ...ये है बेशरम ये है बेशरम . |
| लालच के आधीन हो गया, मेरा मेरा करता है |
| इसका खाता उसका खाता ,पेट ना इसका भरता है.. |
| लोमड सम चालाक बना है , नीच दुस्ट्ता करता है |
| काक भांति चतुराई करता , धन ये सबका हरता है |
| धर्म का इसको बोध नहीं है ,जाया है हैवान का |
| बांध पुलन्दा बेच रहा है अपने ही ईमान का ...ये है बेशरम ये है बेशरम . |
| ..रमेश शर्मा.. |
मेरे कुछ शेर....
| वो निगाहों से मेरे होश लिए जाते है.. | |||||
| और अदाओं से बेहोश किये जाते है... | |||||
| ..रमेश शर्मा.. | |||||
| ................................................................................... | |||||
| जिसने वफ़ा के नाम पर सब कुछ लुटा दिया | |||||
| तुमने उसी के नाम को दिल से हटा दिया.... | |||||
| ...रमेश शर्मा.. | |||||
| ........................................................................... | |||||
| चोट सीने पे खुद लगाई है | |||||
| मौअत आई नहीं बुलाई है | |||||
| ..रमेश... | |||||
| ................................................................... | |||||
| हकीकत कर तो दूं बयां अपनों से मै | |||||
| दूर हो न जाऊ , कहीं अपनों से मै | |||||
| ...रमेश शर्मा.. | |||||
| ............................................................. | |||||
| इश हवा के रूख पे तू न जा ओ नादाँ | |||||
| मौषम बदला की रुख बदल जायेगा. | |||||
| ...रमेश शर्मा... | |||||
| .......................................................... | |||||
| वक्त से रहम की भीख लेने वाले.. | |||||
| अपने कर्मों का बैठ के हिसाब तो कर.. | |||||
| ...रमेश... | |||||
| ..................................................... | |||||
| चाहने वाले मुझे अब गैर समझते क्यों है. | |||||
| मेरे अपने मेरे किरदार से डरते क्यों है | |||||
| मशविरा मेरा जो हर बात पे लेते थे कभी | |||||
| अब मेरी बात को उल्टा वो समझते क्यों है | |||||
| ...रमेश शर्मा.. | |||||
| .................................................................. | |||||
| वक्त की बात है मै जिनको नजर आा था. | |||||
| वक्त की बात है वो मुझको नजर आते है | |||||
| ...रमेश शर्मा.. | |||||
| ............................................................. | |||||
| मेरी यादों पे उनके पहरे हो गए. | |||||
| जख्म दिल के और गहरे हो गए. | |||||
| ..रमेश शर्मा.. | |||||
| ....................................................... | |||||
| तेरी चाहत में हुवे हम भी दिवाने इतने. | |||||
| तुझसे मिलने के बनाये है बहाने कितने. | |||||
| ..रमेश शर्मा.. | |||||
| ....................................................................... | |||||
| वक्त के साथ ही अंदाज बदल जाते है. | |||||
| आँखों के चश्मे कई बार बदल जाते है... | |||||
| . ..रमेश शर्मा | |||||
| ............................................................... | |||||
| वो मुसीबत में मुझे छोड़ चले जाते है. | |||||
| एक साया है कि चिपके है बदन से अब भी | |||||
| . ..रमेश शर्मा | |||||
| ............................................................... | |||||
| शरमा के हमने एक दिन सुरमा लगा लिया . | |||||
| लोगों ने मेरे नाम में "शर्मा" लगा दिया. | |||||
| . ..रमेश शर्मा | |||||
| ................................................................. | |||||
| जख्मे जिगर की तू कभी नुमाइश तो कर . | |||||
| मरहम के खातिर हमसे गुजारिश तो कर .. | |||||
| ..रमेश शर्मा.. | |||||
| .................................................................. | |||||
| वो जो मेरे नाम से मुह फेर लिया करते थे... | |||||
| आज दीदार को मेरे ,बेचैन हुवे जाते है... | |||||
| ..रमेश शर्मा.. | |||||
| ................................................................... | |||||
| वक्त रहते नहीं संभला, तो तू क्या संभला | |||||
| तुझको नादान कहूं , या मै कहूं पगला. | |||||
| ...रमेश शर्मा.. | |||||
| ....................................................... | |||||
| इश्क के सौदे का कब हिसाब होता है | |||||
| इश्क में खतरा भी बेहिसाब होता है . | |||||
| .रमेश शर्मा. | |||||
| .............................................................. | |||||
| मेरे अपने ही मुझे ,जख्म दिए जाते है. | |||||
| कितने मजबूर है हम फिर भी जिए जाते है. | |||||
| ..रमेश शर्मा ... | |||||
| .................................................................. | |||||
| मेरे शेरों की जो तौहीन किया करते थे.. | |||||
| उन्ही शेरों पे उन्हें आज गुमाँ होता है . | |||||
| ..रमेश शर्मा.. | |||||
| ............................................................... | |||||
| अपने सीने का वो हर राज दिए जाते है. | |||||
| इश तरह प्यार का इजहार किये जाते है..;. | |||||
| ...रमेश शर्मा ... | |||||
| ................................................................. | |||||
| जर्रा हूँ बुलंदी की ख्वाहिश मै क्यूं करूँ. | |||||
| हीरे को चमकने की नुमाइश मै क्यूं करू. | |||||
| ...रमेश शर्मा... | |||||
| ................................................................... | |||||
| खामं खां क्यों हाथों में किताब लिए बैठा है. | |||||
| वक्त खुद ही हर जुर्म का हिसाब किये बैठा है | |||||
| ....रमेश शर्मा.. | |||||
| .................................................................... | |||||
| पानी में, मगर से, भला मै बैर क्यों करूं | |||||
| वो नाव जिसमे छेद हो ,मै सैर क्यों करूं. | |||||
| ....रमेश शर्मा... | |||||
...............................................................
|
Saturday, 22 October 2011
भ्रस्टाचार आचार
सरे आम अब बिक रहा भ्रस्टाचार आचार
जनता खाने लग रही हो कर के लाचार
हो कर के लाचार समझ में कछु नही आवे.
खावे जो तो मरा , मरा जो भी नही खावे..
..रमेश शर्मा...
जनता खाने लग रही हो कर के लाचार
हो कर के लाचार समझ में कछु नही आवे.
खावे जो तो मरा , मरा जो भी नही खावे..
..रमेश शर्मा...
जाम हातों में है और , साथ मेरे साकी है
जाम हातों में है और , साथ मेरे साकी है
दिन तो गुजरा है मगर, रात अभी बाक़ी है.....
साकी तूने ही तो हर, दर्द सम्हाला मेरा.
दिल के जख्मो का मगर , दर्द अभी बाक़ी है......
मुझको अपनों से नहीं, कोई वफ़ा की उम्मीद
मेरे तरकस में कई , तीर अभी बाक़ी है........
...रमेश शर्मा..
दिन तो गुजरा है मगर, रात अभी बाक़ी है.....
साकी तूने ही तो हर, दर्द सम्हाला मेरा.
दिल के जख्मो का मगर , दर्द अभी बाक़ी है......
मुझको अपनों से नहीं, कोई वफ़ा की उम्मीद
मेरे तरकस में कई , तीर अभी बाक़ी है........
...रमेश शर्मा..
Saturday, 15 October 2011
पीड़ा जन्म दिन की ...(२ अक्टूबर)
हादसा हर साल मेरे साथ यही होता है.
जन्म दिन मै मनाता हूँ नाम बापू का होता है...
..रमेश शर्मा...
............................................................................
ये सोच कर खयालो में खो गया हूँ आज .
मेरी उम्र का एक साल कम हो गया है आज..
....रमेश शर्मा...
जन्म दिन मै मनाता हूँ नाम बापू का होता है...
..रमेश शर्मा...
............................................................................
ये सोच कर खयालो में खो गया हूँ आज .
मेरी उम्र का एक साल कम हो गया है आज..
....रमेश शर्मा...
मेरे कुछ शेर....
| छुपाई भी नहीं जाती होश-ए-जवानी मेरी. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| जाने क्या रंग लाएगी ये कहानी मेरी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ................................................................... | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ख्वाबो से मेरी दोस्ती क्या हुई. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| नींदों से मेरी दुश्मनी हो गई | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| .................................................................... | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| मेरे दर्द को ज़माने ने बहाना बता दिया... | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| मुस्कराया तो ज़माने ने दीवाना बता दिया.. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ................................................................... | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| उनकी आँखों में डूब के आये है | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| दो बूंदे अश्क की मांग कर लायें है | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| यूँ तो हम आँखों से ही अश्क चुरा लेते है | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| हम तो गहराई भी नाप के आये है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा.. .............................................................
|
Tuesday, 30 August 2011
मेरे कुछ शेर
| जिन्हें ये फ़िक्र थी आँखों से मेरे आंशू न झलक जायं. | ||||||||||||||
| उन्ही आँखों में अब दरिया नजर आता नहीं उनको. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ................................................................................. | ||||||||||||||
| वफ़ा तो वफ़ा है बेवफा नहीं है. | ||||||||||||||
| ख्याल अपना अपना,समझ अपनी अपनी. | ||||||||||||||
| ....रमेश शर्मा.... | ||||||||||||||
| ................................................................. | ||||||||||||||
| नींद में सोया था मै , आज है जाना मैंने. | ||||||||||||||
| मेरे अपनों को बहुत ,पास से जाना मैंने. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ................................................................. | ||||||||||||||
| गमें आंसूओ से सबको तेरा पता मै दूंगा. | ||||||||||||||
| सोये हुवे गमो को फिर से जगा मै दूंगा | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ................................................................. | ||||||||||||||
| गमे जिंदगी को हमने यूँ ही नहीं बुलाया. | ||||||||||||||
| हमको ग़मों में तेरा साया नजर है आया. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ................................................................ | ||||||||||||||
| जिंदगी मेरी बस कंडक्टर से जुदा नहीं है | ||||||||||||||
| सफ़र भी है रोज का कही जाना भी नहीं है. | ||||||||||||||
| ....रमेश शर्मा .... | ||||||||||||||
| ................................................................ | ||||||||||||||
| खद्दर पहन लिया तो ,क्या बेईमान नहीं है. | ||||||||||||||
| बहुमत की वाणी न्याय का ,कभी आधार नहीं है. | ||||||||||||||
| रमेश शर्मा | ||||||||||||||
| ......................................................................... | ||||||||||||||
| गम जिंदगी में मेरे , आये बड़े बड़े . | ||||||||||||||
| हालत को देख मेरी, वो खुद ही रो पड़े. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ................................................. | ||||||||||||||
| इतनी जल्दी मै कैसे समझलू उनको. | ||||||||||||||
| मैंने खुद को एक ज़माने के बाद समझा है. | ||||||||||||||
| ....रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ................................................................................................... | ||||||||||||||
| मै भी हलाल हूँ वो भी हलाल है | ||||||||||||||
| किस बात का उनको इतना मलाल है. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ................................................................................................................ | ||||||||||||||
| तमाम उम्र मुझको कभी पलट कर नहीं देखा | ||||||||||||||
| बाद मरने के मेरी कब्र पर नजर आये मुझको. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ........................................................................................ | ||||||||||||||
| ख़ुशी में भी कभी वो हँसता ही नहीं है, | ||||||||||||||
| चेहरे का उसके गम से वास्ता ही नहीं है. | ||||||||||||||
| ..रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ......................................................................... | ||||||||||||||
| मै कभी उनसे खफा ही नहीं होता | ||||||||||||||
| अगर वो मुझसे बेवफा नहीं होता | ||||||||||||||
| भूल भी जाता मै उनका ये गुनाह | ||||||||||||||
| गर गुनाह उनसे ये हर दफा नहीं होता. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ............................................................... | ||||||||||||||
| आज उनसे जो मिला दिल को करार आया. | ||||||||||||||
| जो सम्हाला था अभी तक वो दिल हार आया. | ||||||||||||||
| ....रमेश शर्मा ... | ||||||||||||||
| ……………………………………………….. | ||||||||||||||
| तमाम उम्र रहा ना कोई हमदम मेरा | ||||||||||||||
| ग़मों ने साथ निभाया है हरदम मेरा. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ........................................................................... | ||||||||||||||
| दर्दे दिल की दवा तो मिल ही जाती है."रमेश" | ||||||||||||||
| जिन्हें सहने की आदत है वो कहाँ जाये. | ||||||||||||||
| ...रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ................................................................ | ||||||||||||||
| वो जो हर वक्त उसका ख्याल रखता है. | ||||||||||||||
| अजीब सक्श है उसी से सवाल करता है. | ||||||||||||||
| ....रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ......................................................................... | ||||||||||||||
| गुनाह पे गुनाह खुद ही किये जा रहे है वो | ||||||||||||||
| वफ़ा की चाह भी हमसे किये जा रहे है वो. | ||||||||||||||
| ....रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ................................................................................. | ||||||||||||||
| लूटा है मुझको आज फिर गैरो ने घेर कर | ||||||||||||||
| तुझ पे ही ऐतबार था तू तो न बैर कर. | ||||||||||||||
| ....रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ............................................................................ | ||||||||||||||
| उलझा जो उलझनों में उलझता चला गया . | ||||||||||||||
| दस्तूर ज़माने का समझते चला गया . | ||||||||||||||
| ..रमेश शर्मा.. | ||||||||||||||
| ........................................................................ | ||||||||||||||
| जब से बांधा है मुझको रिश्तों में . | ||||||||||||||
| तुमने लूटा है मुझको किश्तों में. | ||||||||||||||
| ..रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ............................................................. | ||||||||||||||
| वो खफा हमसे बेशबब नहीं है | ||||||||||||||
| मुझको मालूम है वो बेअदब नहीं है | ||||||||||||||
| .रमेश शर्मा... | ||||||||||||||
| ................................................................................... | ||||||||||||||
| मेरी किश्मत बदलने की जो अक्सर बात करते थे. | ||||||||||||||
उन्हें खुद ही दुवाओ की जरूरत आज है शायद ..
| ||||||||||||||
Tuesday, 23 August 2011
हैरान परेशां ही देखा.
| हमने तो उन्हें जब भी देखा |
| हैरान परेशां ही देखा. |
| औरो के अवगुन ढूंढ ते हो. |
| खुद का तो गरेबां न देखा. |
| ...रमेश शर्मा.. |
जुबां पे जिक्र उनका आ ही जाता है.
| जुबां पे जिक्र उनका आ ही जाता है. |
| मिजाज उनका हमको भा ही जाता है. |
| कोशिश करता भी हूँ भुलादूं उनको |
| ख्याल फिर भी उनका आ ही जाता है. |
| ...रमेश शर्मा.. |
आइना गौर से देखा तो ये जाना मैंने.
| आइना गौर से देखा तो ये जाना मैंने. |
| इश तरह खुद को बहुत देर से जाना मैंने. |
| उनकी बातों को तवज्जु ही नहीं दी मैंने. |
| उनकी बातों में हकीकत थी ये माना मैंने. |
| ...रमेश शर्मा.. |
क्यों मुझे इश तरह हैरान किये जाते हो
| क्यों मुझे इश तरह हैरान किये जाते हो |
| क्यों मुझे रोज नया नाम दिए जाते हो |
| मै तो पीता ही नहीं ये बात तुम्हे है मालूम |
| फिर भी हांथो में मेरे जाम दिए जाते हो. |
| ...रमेश शर्मा.. |
आये हमारे पास वो पूरे हिजाब में.
| आये हमारे पास वो पूरे हिजाब में. |
| रोशन हो जैसे शम्मा बुझते चराग में. |
| चश्मे-बसर से खुद को कब तक बचाओगे. |
| हर कोई ढूंढ लेगा तुमको शराब में. |
| ...रमेश शर्मा.. |
अपने वादे से वो क्यों रोज मुकर जाता है
| अपने वादे से वो क्यों रोज मुकर जाता है |
| आज हर शक्श मुझे दुश्मन ही नजर आता है |
| शीता हूँ दिल के टूकड़े सायेद इशी लिए. |
| आज हर हाथ में क्यों खंजर ही नजर आता है |
| ......रमेश शर्मा... |
Friday, 19 August 2011
नजर का तीर
| भुलाया ही नहीं जाता, वो दिल से आज भी मंजर |
| नजर के तीर से तूने, चलाया था कभी खंजर |
| बदल डाली तुम्ही ने तो , ये मेरी जिंदगी सारी. |
| क्या दिल मेरा वही दिल है, नजर आता था जो बंजर. |
| ...रमेश शर्मा... |
Thursday, 18 August 2011
मन की व्यथा
| हमको कभी भी चैन से, रहने नहीं दिया |
| दर्दे जिगर का हाल भी ,कहने नहीं दिया |
| रोया हूँ इश तरहा कि मै, आंशू निकल पड़े |
| अश्को को मेरी आँख से ,बहने नहीं दिया |
| तुमने हमारी राहों में ,कांटे बिछा दिए |
| था कौनसा वो जख्म जो, तुमने नहीं दिया |
| ...रमेश शर्मा.... |
समय के साथ में हमको
| समय के साथ में हमको कभी ढलना नहीं आया |
| नदी के धार के संग हमको कभी बहना नहीं आया |
| ख्वाहिशे हो नहीं पाई कि पूरी आज तक मेरी |
| हमें कहना नहीं आया उन्हें सुनना नहीं आया |
| ...रमेश शर्मा.. |
मेरे जख्मो की तू दवाई है
| मेरे जख्मो की तू दवाई है |
| चोट दिल पे जो आज खाई है... |
| जिंदगी के हसीन मेले में, |
| यूँ ही फंसते रहे झमेले में. |
| ...बात अब ये समझ में आई है.......मेरे जख्मो की तू दवाई है |
| मैंने समझा नहीं कभी तुझको , |
| फिर भी देते रहे दुवा मुझको. |
| चोट सीने में खुद लगाई है.....मेरे जख्मो की तू दवाई है |
| ...रमेश शर्मा... |
Subscribe to:
Comments (Atom)