बचपन मे जिसके लिए, लडती थी औलाद ! |
उस माँ को करती
नही, वही आजकल याद ! ! |
|
आपस मे लडती
रहे,....जहाँ परस्पर डाल ! |
वहाँ वृक्ष की मूल
का, क्या होगा फिर हाल!! |
|
सही गलत के तथ्य
का,रहे न उनको बोध! |
होता काम विपक्ष
का,करते रहो विरोध! ! |
|
नाजायज जायज लगे,
जायज लगे फिजूल ! |
राजनीति बदरंग यह,
......इसमें कहाँ उसूल !! |
|
उनको उनकी
भावना,...खुद ही रही कचोट! |
नीयत मे जिनकी सदा,
भरा हुआ हो खोट !! |
|
आती हो जिनमे
सदा,जलने की दुर्गन्ध ! |
ऐसों से रखना नहीं,
कभी मित्र सम्बन्ध ! ! |
|
दिखें हमें साहित्य
मे, ऐसे भी कुछ नाम ! |
राजनीति का कर रहे
,बडा बखूबी काम !! |
|
रुके न भ्रस्टाचार का,वहाँ कभी व्यवसाय! |
जहाँ तंत्र ही भ्रष्ट हो, ..करिए लाख उपाय!! |
|
संसद के हर सत्र में, मचता हाहाकार ! |
नेता सारे मौज मे,...जनता है लाचार! ! |
|
जन धन खातों मे
हुई,रुपयों की बौछार ! |
कहाँ गरीबी देश मे,
सोचो करो विचार ! ! |
|
करें किनारा आजकल,मुझसे ही कुछ यार! |
हुआ हजारी नोट सा,..अपना भी किरदार! ! |
|
मेरा त्यों ही छोड कर,......चले गये वो साथ ! |
दुखती रग पर रख दिया,उनकी ज्यों ही हाथ! ! |
|
भारत माँ को हो
रहा, ..इसका बडा मलाल! |
उसके हुए शहीद
फिर,सीमा पर कुछ लाल!! |
|
रिश्तों मे चलता
नही,हरगिज मित्र जुगाड! |
राई का जैसे कभी,
...टिकता नही पहाड !! |
|
किया सियासत का कभी,नही मित्र व्यवसाय! |
लिखती है वो ही कलम,.......मेरी है जो राय! ! |
|
लिखना मेरा शौक है,नही मित्र व्यवसाय ! |
मेरी अपनी सोच है,......मेरी अपनी राय! ! |
|
संसद मे सरकार के,.
वे ही खडे विरुद्ध ! |
नोट बंद पर है
नही,नीयत जिनकी शुद्ध !! |
|
करें समर्थन बंद का,वो ही आज रमेश! |
नहीं चाहते मुक्त हो , कालेधन से देश !! |
|
नई नीति सरकार की,उनको लगी न ठीक! |
काले धन की दौड मे,..वो जो रहे शऱीक!! |