Thursday 15 December 2016

दोहे रमेश के

कहने को तेईस हैं,...........दोहों के प्रारूप !
करे भावना व्यक्त हर, कवि.अपने अनुरूप !!

क्या मिलना उस शख्स से,मिल के आए लाज !
बजता हरदम बेसुरा ,......... फूटा जैसे साज !!
रमेश शर्मा.

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