Friday, 19 August 2011

नजर का तीर


भुलाया ही नहीं जाता, वो दिल से आज भी मंजर
नजर के तीर से तूने, चलाया था कभी खंजर
बदल डाली तुम्ही ने तो , ये मेरी जिंदगी सारी.
क्या दिल मेरा वही दिल है, नजर आता था जो बंजर.
...रमेश शर्मा...

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