जिन्हें ये फ़िक्र थी आँखों से मेरे आंशू न झलक जायं. |
उन्ही आँखों में अब दरिया नजर आता नहीं उनको. |
...रमेश शर्मा.. |
................................................................................. |
वफ़ा तो वफ़ा है बेवफा नहीं है. |
ख्याल अपना अपना,समझ अपनी अपनी. |
....रमेश शर्मा.... |
................................................................. |
नींद में सोया था मै , आज है जाना मैंने. |
मेरे अपनों को बहुत ,पास से जाना मैंने. |
...रमेश शर्मा... |
................................................................. |
गमें आंसूओ से सबको तेरा पता मै दूंगा. |
सोये हुवे गमो को फिर से जगा मै दूंगा |
...रमेश शर्मा... |
................................................................. |
गमे जिंदगी को हमने यूँ ही नहीं बुलाया. |
हमको ग़मों में तेरा साया नजर है आया. |
...रमेश शर्मा... |
................................................................ |
जिंदगी मेरी बस कंडक्टर से जुदा नहीं है |
सफ़र भी है रोज का कही जाना भी नहीं है. |
....रमेश शर्मा .... |
................................................................ |
खद्दर पहन लिया तो ,क्या बेईमान नहीं है. |
बहुमत की वाणी न्याय का ,कभी आधार नहीं है. |
रमेश शर्मा |
......................................................................... |
गम जिंदगी में मेरे , आये बड़े बड़े . |
हालत को देख मेरी, वो खुद ही रो पड़े. |
...रमेश शर्मा... |
................................................. |
इतनी जल्दी मै कैसे समझलू उनको. |
मैंने खुद को एक ज़माने के बाद समझा है. |
....रमेश शर्मा... |
................................................................................................... |
मै भी हलाल हूँ वो भी हलाल है |
किस बात का उनको इतना मलाल है. |
...रमेश शर्मा... |
................................................................................................................ |
तमाम उम्र मुझको कभी पलट कर नहीं देखा |
बाद मरने के मेरी कब्र पर नजर आये मुझको. |
...रमेश शर्मा... |
........................................................................................ |
ख़ुशी में भी कभी वो हँसता ही नहीं है, |
चेहरे का उसके गम से वास्ता ही नहीं है. |
..रमेश शर्मा.. |
......................................................................... |
मै कभी उनसे खफा ही नहीं होता |
अगर वो मुझसे बेवफा नहीं होता |
भूल भी जाता मै उनका ये गुनाह |
गर गुनाह उनसे ये हर दफा नहीं होता. |
...रमेश शर्मा.. |
............................................................... |
आज उनसे जो मिला दिल को करार आया. |
जो सम्हाला था अभी तक वो दिल हार आया. |
....रमेश शर्मा ... |
……………………………………………….. |
तमाम उम्र रहा ना कोई हमदम मेरा |
ग़मों ने साथ निभाया है हरदम मेरा. |
...रमेश शर्मा.. |
........................................................................... |
दर्दे दिल की दवा तो मिल ही जाती है."रमेश" |
जिन्हें सहने की आदत है वो कहाँ जाये. |
...रमेश शर्मा.. |
................................................................ |
वो जो हर वक्त उसका ख्याल रखता है. |
अजीब सक्श है उसी से सवाल करता है. |
....रमेश शर्मा... |
......................................................................... |
गुनाह पे गुनाह खुद ही किये जा रहे है वो |
वफ़ा की चाह भी हमसे किये जा रहे है वो. |
....रमेश शर्मा.. |
................................................................................. |
लूटा है मुझको आज फिर गैरो ने घेर कर |
तुझ पे ही ऐतबार था तू तो न बैर कर. |
....रमेश शर्मा.. |
............................................................................ |
उलझा जो उलझनों में उलझता चला गया . |
दस्तूर ज़माने का समझते चला गया . |
..रमेश शर्मा.. |
........................................................................ |
जब से बांधा है मुझको रिश्तों में . |
तुमने लूटा है मुझको किश्तों में. |
..रमेश शर्मा... |
............................................................. |
वो खफा हमसे बेशबब नहीं है |
मुझको मालूम है वो बेअदब नहीं है |
.रमेश शर्मा... |
................................................................................... |
मेरी किश्मत बदलने की जो अक्सर बात करते थे. |
उन्हें खुद ही दुवाओ की जरूरत आज है शायद ..
.रमेश शर्मा... |
...................................................................................
न जाने देख कर तुझको मुझे आभास होता है.
मेरा हर चाहने वाला तेरा भी खास होता है.
मिला भी तो नहीं हूँ मै, कभी भी आज तक तुझ से
मुझे रह रह के जाने क्यों , यही अहसास होता है
मेरा हर चाहने वाला तेरा ………..
..रमेश शर्मा..
|
|
wah ramesh ji wah. really great.......
ReplyDeletebahut khoob ramesh ji... aise hi likhte rahiye...
ReplyDeleteThanks Shilpi ji
ReplyDeleteshookriya Avinash ji
ReplyDelete