Wednesday 30 November 2011

चाहे कितनी ही गिराले तू बिजलियाँ मुझ पर


चाहे कितनी ही गिराले तू बिजलियाँ मुझ पर
मै ना बिखरा था कभी और ना टूटूंगा कभी
गम के सागर में वो तूफ़ान तो आने दे "रमेश"
तेरी कश्ती में उस रोज ही मै बैटूंगा तभी .
...रमेश शर्मा..

7 comments:





  1. गम के सागर में वो तूफ़ान तो आने दे "रमेश"
    तेरी कश्ती में उस रोज ही मै बैटूंगा तभी

    प्रिय बंधुवर रमेश जी
    सस्नेहाभिवादन !

    सागर में तूफ़ान के बाद कश्ती पर बैठने का फ़ैसला बहुत हिम्मत का काम होता है … :)

    आपकी छोटी-छोटी रचनाएं पसंद आईं …


    बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. राजेन्द्र जी बहुत बहुत आभार हौसला अफजाई के लिए.

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  3. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.

    कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" पर पधार कर मेरे प्रयास को भी अपने स्नेह से अभिसिंचित करें, आभारी होऊंगा.

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    1. शुक्लाजी बहुत बहुत आभार हौसला अफजाई के लिए.

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  4. प्रिय बंधुवर रमेश जी
    नमस्कार !

    कुछ नया पोस्ट कीजिए अब तो ...
    :)

    ~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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