Tuesday 30 August 2011

मेरे कुछ शेर

जिन्हें ये फ़िक्र थी आँखों से मेरे आंशू न झलक जायं.
उन्ही आँखों में अब दरिया नजर आता नहीं उनको.
...रमेश शर्मा..
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वफ़ा तो वफ़ा है बेवफा नहीं है.
ख्याल अपना अपना,समझ अपनी अपनी.
....रमेश शर्मा....
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नींद में सोया था मै , आज है जाना मैंने.
मेरे अपनों को बहुत ,पास से जाना मैंने.
...रमेश शर्मा...
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गमें आंसूओ से सबको तेरा पता मै दूंगा.
सोये हुवे गमो को फिर से जगा मै दूंगा
...रमेश शर्मा...
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गमे जिंदगी को हमने यूँ ही नहीं बुलाया.
हमको ग़मों में तेरा साया नजर है आया.
...रमेश शर्मा...
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जिंदगी मेरी बस कंडक्टर से जुदा नहीं है
सफ़र भी है रोज का कही जाना भी नहीं है.
....रमेश शर्मा ....
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खद्दर पहन लिया तो ,क्या बेईमान नहीं है.
बहुमत की वाणी न्याय का ,कभी आधार नहीं है.
रमेश शर्मा
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गम जिंदगी में मेरे , आये बड़े बड़े .
हालत को देख मेरी, वो खुद ही रो पड़े.
...रमेश शर्मा...
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इतनी जल्दी मै कैसे समझलू उनको.
मैंने खुद को एक ज़माने के बाद समझा है.
....रमेश शर्मा...
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मै भी हलाल हूँ वो भी हलाल है
किस बात का उनको इतना मलाल है.
...रमेश शर्मा...
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तमाम उम्र मुझको कभी पलट कर नहीं देखा
बाद मरने के मेरी कब्र पर नजर आये मुझको.
...रमेश शर्मा...
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 ख़ुशी में भी कभी वो हँसता ही नहीं है,
चेहरे का उसके गम से वास्ता ही नहीं है.
..रमेश शर्मा..
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मै कभी उनसे खफा ही नहीं होता
अगर वो मुझसे बेवफा नहीं होता
भूल भी जाता मै उनका ये गुनाह
गर गुनाह उनसे ये हर दफा नहीं होता.
...रमेश शर्मा..
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आज उनसे जो मिला दिल को करार आया.
जो सम्हाला था अभी तक वो दिल हार आया.
....रमेश शर्मा ...
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तमाम उम्र रहा ना कोई हमदम मेरा
ग़मों ने साथ निभाया है हरदम मेरा.
...रमेश शर्मा..
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दर्दे दिल की दवा तो मिल ही जाती है."रमेश"
जिन्हें सहने की आदत है वो कहाँ जाये.
...रमेश शर्मा..
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वो जो हर वक्त उसका ख्याल रखता है.
अजीब सक्श है उसी से सवाल करता है.
....रमेश शर्मा...
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गुनाह पे गुनाह खुद ही किये जा रहे है वो
वफ़ा की चाह भी हमसे किये जा रहे है वो.
....रमेश शर्मा..
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लूटा है मुझको आज फिर गैरो ने घेर कर
तुझ पे ही ऐतबार था तू तो न बैर कर.
....रमेश शर्मा..
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उलझा जो उलझनों में उलझता चला गया .
दस्तूर ज़माने का समझते चला गया .
..रमेश शर्मा..
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जब से बांधा है मुझको रिश्तों में .
तुमने लूटा है मुझको किश्तों में.
..रमेश शर्मा...
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वो खफा हमसे बेशबब नहीं है
मुझको मालूम है वो बेअदब  नहीं है
.रमेश शर्मा...
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मेरी किश्मत बदलने की जो अक्सर बात करते थे.
उन्हें खुद ही दुवाओ की  जरूरत आज है शायद ..
.रमेश शर्मा...
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न जाने देख कर तुझको मुझे आभास होता है.
मेरा हर चाहने वाला तेरा भी खास होता है.
मिला भी तो नहीं हूँ मै, कभी भी आज तक तुझ से
मुझे रह रह के जाने क्यों , यही अहसास होता है
मेरा हर चाहने वाला तेरा ………..
..रमेश शर्मा..




Tuesday 23 August 2011

हैरान परेशां ही देखा.


हमने तो उन्हें जब भी देखा
हैरान परेशां ही देखा.
औरो के अवगुन ढूंढ ते हो.
खुद का तो गरेबां न देखा.
...रमेश शर्मा..

जुबां पे जिक्र उनका आ ही जाता है.


जुबां पे जिक्र उनका आ ही जाता है.
मिजाज उनका हमको भा ही जाता है.
कोशिश करता भी हूँ भुलादूं उनको
ख्याल फिर भी उनका आ ही जाता है.
...रमेश शर्मा..

आइना गौर से देखा तो ये जाना मैंने.


आइना गौर से देखा तो ये जाना मैंने.
इश तरह खुद को बहुत देर से जाना मैंने.
उनकी बातों को तवज्जु ही नहीं दी मैंने.
उनकी बातों में हकीकत थी ये माना मैंने.
...रमेश शर्मा..

क्यों मुझे इश तरह हैरान किये जाते हो


क्यों मुझे इश तरह हैरान किये जाते हो
क्यों मुझे रोज नया नाम दिए जाते हो
मै तो पीता ही नहीं ये बात तुम्हे है मालूम
फिर भी हांथो में मेरे जाम दिए जाते हो.
...रमेश शर्मा..

आये हमारे पास वो पूरे हिजाब में.


आये हमारे पास वो पूरे हिजाब में.
रोशन हो जैसे शम्मा बुझते चराग में.
चश्मे-बसर से खुद को कब तक बचाओगे.
हर कोई ढूंढ लेगा तुमको शराब में.
...रमेश शर्मा..

अपने वादे से वो क्यों रोज मुकर जाता है


अपने वादे से वो क्यों रोज मुकर जाता है
आज हर शक्श मुझे दुश्मन ही नजर आता है
शीता हूँ दिल के टूकड़े सायेद इशी लिए.
आज हर हाथ में क्यों खंजर ही नजर आता है
......रमेश शर्मा...

Friday 19 August 2011

नजर का तीर


भुलाया ही नहीं जाता, वो दिल से आज भी मंजर
नजर के तीर से तूने, चलाया था कभी खंजर
बदल डाली तुम्ही ने तो , ये मेरी जिंदगी सारी.
क्या दिल मेरा वही दिल है, नजर आता था जो बंजर.
...रमेश शर्मा...

Thursday 18 August 2011

मन की व्यथा


हमको कभी भी चैन से, रहने नहीं दिया
दर्दे जिगर का हाल भी ,कहने नहीं दिया
रोया हूँ इश तरहा कि मै, आंशू निकल पड़े
अश्को को मेरी आँख से ,बहने नहीं दिया
तुमने हमारी राहों में ,कांटे बिछा दिए
था कौनसा वो जख्म जो, तुमने नहीं दिया

...रमेश शर्मा....

समय के साथ में हमको

समय के साथ में हमको कभी ढलना नहीं आया
नदी के धार के संग हमको कभी बहना नहीं आया
ख्वाहिशे हो नहीं पाई कि पूरी आज तक मेरी
हमें कहना नहीं आया उन्हें सुनना नहीं आया
...रमेश शर्मा..

मेरे जख्मो की तू दवाई है

मेरे जख्मो की तू दवाई है
चोट दिल पे जो आज खाई है...

जिंदगी के हसीन मेले में,
यूँ ही फंसते रहे झमेले में.
...बात अब ये समझ में आई है.......मेरे जख्मो की तू दवाई है

मैंने समझा नहीं कभी तुझको ,
फिर भी देते रहे दुवा मुझको.
चोट सीने में खुद लगाई है.....मेरे जख्मो की तू दवाई है
...रमेश शर्मा...