Tuesday 23 August 2011

हैरान परेशां ही देखा.


हमने तो उन्हें जब भी देखा
हैरान परेशां ही देखा.
औरो के अवगुन ढूंढ ते हो.
खुद का तो गरेबां न देखा.
...रमेश शर्मा..

2 comments:

  1. बहुत सत्य कथन !! संत कबीर दास जी ' ने भी कहा है .....

    "बहुत गिनाते तुम रहे, दूजों के गुण दोष ..
    अपने भीतर भी झांक लो कभी ...तो उड़ जायेंगे होश !!

    आपकी बेटी ...(निहारिका बंसल )

    ReplyDelete
  2. निहारिका बंसल जी आपका बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete