Wednesday 30 November 2011

आज का इन्सान


आओ यारो देखलो तुम भी, मुखड़ा इश शैतान का .
बांध पुलन्दा बेच रहा है अपने ही ईमान का ...ये है बेशरम ये है बेशरम .

झूट बोल कर दौलत इसने ,बेशुमार कमाई है
पुत्र कलत्र न यारो इशके, नाही कोई सगा ही है
... आँख मूँद कर बैठा है ज्यों, स्वान शिशु का भाई है
मन में नाम हरी का जपता, मिथ्या देत दुहाई है
पाप की गठरी बांध रहा है, ना डर है भगवान का....
बांध पुलन्दा बेच रहा है अपने ही ईमान का ...ये है बेशरम ये है बेशरम .

लालच के आधीन हो गया, मेरा मेरा करता है
इसका खाता उसका खाता ,पेट ना इसका भरता है..
लोमड सम चालाक बना है , नीच दुस्ट्ता करता है
काक भांति चतुराई करता , धन ये सबका हरता है
धर्म का इसको बोध नहीं है ,जाया है हैवान का
बांध पुलन्दा बेच रहा है अपने ही ईमान का ...ये है बेशरम ये है बेशरम .
..रमेश शर्मा..

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