| 1 | जो दुनिया के सामने, ...बनकर रहा कठोर ! |
| उसका भी औलाद पर, कब चलता है जोर !! | |
| 2 | कितना भी चिल्लाईए,..लाख मचाएं शोर! |
| कुदरत पर इन्सान का,कब चलता है जोर! ! | |
| 3 | बैठे हों जब हर तरफ,....इर्द गिर्द सब चोर! |
| सचमुच वहाँ प्रधान का,कब चलता है जोर !! | |
| 4 | दरवाजे पर टांकिए,गुड़ी और इक आज ! |
| नये साल का कीजिये, जोरों से आगाज !! | |
| 5 | राष्ट्रवाद के नाम पर, करते वही कलेश! |
| जिन्हे नही है फिक्र ये,कहाँ खडा है देश!! | |
| 6 | खाते हैं जिस थाल मे,..करें उसी मे छेद ! |
| सुनकर ऐसी बात भी, होता रक्त सफ़ेद !! | |
| 7 | मतलब के बाजार का , ............ये ही रहा उसूल ! |
| मकसद तक झुक कर रहो, फिर जाओ सब भूल !! | |
| 8 | थी कोसों की दूरियाँ, मगर लगी वो पास ! |
| शायद कहते हैं इसे, प्यार भरा अहसास !! | |
| 9 | रहा नहीं वो गाँव अब , ..रहे नहीं वे लोग ! |
| मित्र आज देहात को, लगा शहर का रोग !! | |
| 10 | रहा हमेशा वक्त का,.....अपने जो पाबंद ! |
| जीवन मे उसने लिया,हर पल का आंनद !! | |
| 11 | लिया लक्ष्य को आपने,दिल मे अगर उतार ! |
| बना रहेगा आप मे, ........ऊर्जा का संचार !! | |
| 12 | चढ़े खिलौनों के जहाँ,
...आसमान में भाव ! निर्धन ने तैयार की, फिर कागज़ की नाव !! |
| 13 | सच्चाई का इक दफा, लिया हाथ जो थाम ! |
| उसका सारी उम्र फिर,.. पड़े चुकाना दाम !! | |
| 14 | माता भ्रस्टाचार हो,...मंहगाई औलाद! |
| सत्ताधारी बाप तो,कौन सुने फरियाद !! | |
| 15 | टनों लकडियाँ फूँक दी,किॆए कई अभिषेक ! |
| नही लगाया आपने,.... वृक्ष कभी पर एक !! | |
| 16 | अपने जीवन काल में, करो काम इक नेक ! |
| जन्मदिवस पर तुम स्वयं ,वृक्ष लगाओ एक !! | |
| 17 | सभी खड़े इक नाव पर, थाम झूठ का हाथ ! |
| गलती का यह ठीकरा ,फोड़ें किसके माथ !! | |
| 18 | किया अकारण जल अगर, इस पीढ़ी ने व्यर्थ ! |
| कल होगा सूखा यहाँ,..... होगा बड़ा अनर्थ !! | |
| 19 | सुनने मे अच्छा लगे, ..लगता मगर अजीब! |
| सिखलाए हमको अगर,शातिर ही तहजीब!! | |
| 20 | मुख मे तो हरिओम है,मन मे लेकिन पाप ! |
| फिर तो तेरा व्यर्थ है, हरिहर-हरिहर जाप !! | |
| 21 | रखें नियंत्रण क्रोध पर, निर्मल रखें स्वभाव ! |
| उपजेगा निश्चित नहीं, .जल्दी कभी तनाव !! | |
| 22 | बुरा रोग संदेह का, छीने चैन करार ! |
| मिट जाती हैं जिंदगी,पटती नही दरार !! | |
| 23 | बिगडें सदा किसान के,......अनायास हालात ! |
| पकी फसल पर जब कभी, गिर जाये बरसात !! | |
| 24 | कहने को तो देश है,..अपना कृषक प्रधान! |
| क्यों मरते हैं भूख से,फिर भी यहाँ किसान! ! | |
| 25 | मेरी सच्ची बात का ,.......ऐसा मिला इनाम ! |
| कुछ ने आँखे फेर ली, कुछ ने किया प्रणाम !! | |
| 26 | कर्मों का हो आइना, सम्मुख सदा "रमेश"! |
| देने से पहले कहीं, .......कोई भी उपदेश !! | |
| 27 | जहाँ दिलों के बीच में , बन रहे अनुराग ! |
| वहां मुहब्बत के कभी, बुझते नहीं चिराग !! | |
| 28 | उसने दरिया कर लिया,जीवन का हर पार ! |
| संस्कारों की नाव पर, ..वो जो हुआ सवार !! | |
| 29 | रोके से रुकते नहीं, कभी कभी जज्बात ! |
| बनकर आँसू आँख से , बहती है हर बात !! | |
| 30 | उठे दुआओं के लिए, माँ के हरदम हाथ ! |
| रख न हो औलाद ने, चाहे उसको साथ !! | |
| 31 | मेरे अपने आप सब, बन जाते हैं काम ! |
| माँ के आशीर्वाद का, सदा सुखद परिणाम !! | |
| 32 | शायर है गुमनाम औ,..... गीतकार अज्ञात ! |
| गायक गा गाकर जिन्हें, हुए विश्व विख्यात !! | |
| 33 | यादें ताजा कर गई,उनकी एक किताब ! |
| पन्नों में ज्यों ही मिला, सूखा हुआ गुलाब !! | |
| 34 | सीमा पर बंदूक जब, ...उगल रही हो आग ! |
| पता नहीं किस नारि का, उजड़े वहां सुहाग !! | |
| 35 | सुने लोभ वश आदमी,मतलब की हर बात ! |
| सहे दुधारू गाय की, ....जैसे मालिक लात !! | |
| 36 | उन्हें नसीहत दीजिए, उन्हें दीजिये ज्ञान ! |
| बातों पर जो आपकी,देते हों कुछ ध्यान।! | |
| 37 | करते थे मुझसे कभी, .वही न करते बात ! |
| जाहिर जो मैंने किये, जब्त सभी जज्बात !! | |
| 38 | मिले जहां से प्रेरणा, ..मिले जहाँ सद्ज्ञान ! |
| करें सदा उस ठौर का, जीवन भर सम्मान !! | |
| 39 | मेरे मुझको छोड़कर,चले गए सब ख़ास ! |
| आई मेरी मुफ़लिसी,उन्हें न शायद रास !! | |
| 40 | कैसे कोई किस तरह,इसका करे इलाज ! |
| तोडें अपने ही अगर, .अपने बने रिवाज !! | |
| 41 | कष्टों की आती रहे,... भले दिलों में बाढ़ ! |
| रिश्ते वो उखड़े नहीं, हैं जो सहज प्रगाढ़ !! | |
| 42 | राजनीति ने काम ये, किया बड़ा ही खूब ! |
| सींची दोनों हाथ से, ..जातिवाद की दूब !! | |
| 43 | सींचा रह रह कर सदा जातिवाद का वृक्ष ! |
| राजनीति इस कृत्य में , .रही हमेशा दक्ष !! | |
| 44 | अपनों पर चलने लगे, अपनों की तलवार ! |
| क्या होगा उस देश का सोचो करो विचार !! | |
| 45 | रिश्तों मे आता नही, जहाँ नजर विश्वास! |
| सम्बन्धो मे आ गई, निश्चित वहाँ खटास !! | |
| 46 | आजादी के बाद से, दिन-दिन भड़की आग ! |
| बाद छियासठ साल भी, नहीं सके हम जाग !! | |
| 47 | ज्यों पाटो के बीच मे,पिसता रहे अनाज ! |
| त्यों झूठो की भीड मे, सच्चे की आवाज !! | |
| 48 | मासूमों के खून से,चले सियासी खेल ! |
| गद्दारों ने देश को,पीछे दिया धकेल !! | |
| 49 | आरक्षण की आग मे , रहे रोटियाँ सेक ! |
| दिखें सियासत मे हमें,.ऐसे धूर्त अनेक !! | |
| 50 | हिंसा से सुधरे नही, कभी मित्र हालात ! |
| भूल गये इस दौर मे,हम शायद ये बात !! | |
| 51 | अपने हाथों से करें, अपना ही नुकसान ! |
| देश नही ये और का,सत्य समझ नादान !! | |
| 52 | भरा हुआ है पेट पर, ...पड़े मांगनी भीख ! |
| आरक्षण से एक ही, मिली हमें अब सीख ! | |
| 53 | सीधी सच्ची सोच हो,सहज सरल हों भाव ! |
| जल्दी से फटके नही,..निश्चित वहां तनाव !! | |
| 54 | मिला विरासत मे मुझे,....केवल आशीर्वाद ! |
| मैने उसको रख लिया,उनका समझ प्रसाद!! | |
| 55 | मिले देखने आजकल ,खबरें कई अजीब ! |
| भूल गये इस दौर में, शायद हम तहजीब !! | |
| 56 | चेहरे पर आती नही,. ..कभी झुर्रियाँ आप ! |
| छिपी तजुर्बों की हमे,दिखे अनगिनत छाप !! | |
| 57 | देशभक्ति पर पड़ रही, राजनीति की गाज ! |
| नारे हिन्दुस्तान के, ......अर्थ नए पर आज !! | |
| 58 | जुडे मीडिया से सदा,राजनीति के तार! |
| वही दिखाता है हमे,.जो चाहे सरकार !! | |
| 59 | आलिंगन जग का किया, भरा नहीं पर जाम ! |
| मातृभूमि की गोद में,..... थक पाया विश्राम !! | |
| 60 | करें उसी से दोस्ती, ....रखें उसे ही पास ! |
| जो गलती का आपको, करवाता आभास!! | |
| 61 | ऐसों को रखना नहीं, तुम अपना हमराज ! |
| जो गलती को आपकी, करें नजर अंदाज !! | |
| 62 | बढी गरीबी देश मे,....दो का दूना चार! |
| कारण इसका मूल है,बढता भ्रस्टाचार !! | |
| 63 | इक दूजे पर कर रहे,सभी सियासी वार ! |
| लोकतंत्र का अर्थ है,जनता का उपकार !! | |
| 64 | सेवा करने को चले,..बनकर सेवादार ! |
| राजनीति का कर रहे,वो देखो व्यापार !! | |
| 65 | जिनके ऊपर देश को,,कभी बहुत था नाज़ ! |
| देशद्रोह का कर रहे,....वही समर्थन आज !! | |
| 66 | गीता का अध्यन किया,पढ़ें सभी हैं वेद ! |
| राधा कृष्णा में कहीं,आया नजर न भेद !! | |
| 67 | वादा इसके साथ कर, थामा उसका हाथ ! |
| कैसे होगा पार यूं , जीवन का यह पाथ ! | |
| 68 | वादों की दहलीज पर,रखना कदम सम्हाल ! |
| यहाँ गिरा इक बार जो, उठा नही बहु साल !! | |
| 69 | खुश्बू है ये प्रेम की, ....या समझूँ उपहार ! |
| गुच्छे के हर फूल में, लिखा हुआ है प्यार !! | |
| 70 | किसे कहें ये चोर है, कहें किसे हम नेक! |
| अपनी अपनी रोटियाँ,सभी रहे जब सेक !! | |
| 71 | मंदिर सी खुश्बू मिले,मृदल गंध की टेर! |
| जब बासन्ती धूप मे,खिलता फूल कनेर! ! | |
| 72 | नही बढेगा मानिए,......ज्यादा कभी कलेश ! |
| घर का झगडा रह गया,घर मे अगर "रमेश" !! | |
| 73 | दिया अंगूठा द्रोण को, ....एकलव्य ने काट ! |
| रहे न ऐसे शिष्य अब, जिनका ह्रदय विराट!! | |
| 74 | हुआ सुदामा सा कभी,,कब किसका सत्कार! |
| कान्हा जैसा दूसरा,.....हुआ नही फिर यार! | |
| 75 | हमने मिलकर कर दिया, हरियाली का अंत ! |
| धीरे धीरे रो रहा ,........ देखो आज बसंत !! | |
| 76 | कहाँ पुरानी बात है ,गुजरे हैं कुछ साल ! |
| रोटी के सह मुफ्त में,मिल जाती थी दाल !! | |
| 77 | किसको अपना हम कहें,कहें किसे अब गैर ! |
| अपनो के अपने अगर,......लगे खींचने पैर !! | |
| 78 | नैतिकता का है नहीं, आज जरा भी दाम ! |
| भारत में यह हो रही, शनै शनै बदनाम !! | |
| 79 | इत देखूं किरदार या, उत देखूं परिवार ! |
| दोनों ही ज़िंदा रहें, ....मेरे मन के द्वार !! | |
| 80 | होते है जब साथ मे,चिड़िया तितली फूल ! |
| पडें दिखाई उस समय,तीनो ही मशगूल !! | |
| 81 | चाहे जितना कीजिए, इसका आप इलाज ! |
| लौटे नहीं जुबान से,निकलें जो अलफ़ाज़ !! | |
| 82 | सिल लोढी को कर दिया, मिक्सर ने बरबाद ! |
| चटनी में आता नहीं,.......पहले जैसा स्वाद !! | |
| 83 | हुआ नहाना ओस में, तेरा जब जब रात ! |
| कोहरे में लिपटी मिली, तब तब सर्द प्रभात !! | |
| 84 | चाहे धन्ना सेठ हो,...........चाहे रहे गरीब ! |
| हुआ सभी को एक सा,यारों कफन नसीब !! | |
| 85 | सच को यदि सच के लिये, देनी पडे दलील! |
| तो होगा सन्सार में, ....निश्चय सत्य जलील!| | |
| 86 | पत्रकार करता सदा ,...विज्ञापन का काम !! |
| जनहित की पहचान है,साहित्यिक संग्राम !! | |
| 87 | उडो भले आकाश मे,..बन कर के इक बाज! |
| मगर न करना भूमि को, कभी नजर अंदाज !! | |
| 88 | खर-दूषण प्यारा लगे,...लगे विभीषण नाग! |
| दिल मे जिसके स्वार्थ की,लगी हुई हो आग!! | |
| 89 | विधि -विरुद्ध अभिमान से, किया हुआ हर काम ! |
| कर देगा निश्चित तुम्हे, ....... एक रोज बदनाम !! | |
| 90 | दहशतगर्दों का कभी,..हुआ नहीं ईमान ! |
| कैसे समझे हम इन्हें, मानव की संतान !! | |
| 91 | बना हुआ है पाक मे,भष्मासुर आंतक! |
| लगा उसे ही मारने,.बार-बार वो डंक!! | |
| 92 | कितने जख्मी हो गये,...कितने मरे अबोध! |
| करता हूंँ मै आज फिर,इसका कडा विरोध!! | |
| 93 | सच्चाई की पीठ पर,जो भी हुआ सवार! |
| पडा झेलना कष्ट का,उनको सदा प्रहार !! | |
| 94 | उपजें नहीं खयाल में,.. वहाँ विषैले बीज ! |
| संस्कार की ली पहन,जिसने जहाँ कमीज !! | |
| 95 | राजनीति का एक ही, लगता अब तो काम ! |
| इक दूजे पर थोपना,.....अपने पाप तमाम !! | |
| 96 | गलती का जो आपकी,रखे हमेशा ध्यान! |
| वही हितैषी आपका,सत्य समझ इंसान!! | |
| 97 | भूल गए मेरे खुदा,.....केवल एक लकीर ! |
| खुल जाती जिससे सुना, लोगों की तकदीर !! | |
| 98 | कथित सुखनवर-मीडिया,अध्यापक ये तीन ! |
| ये तीनों इस दौर मे, .....दिखें स्वार्थ मे लीन!! | |
| 99 | पाखंडी समझे नही, ना ही करे विचार ! |
| चढे न हांडी काठ की,चूल्हे पर दो बार!! | |
| 100 | दिल के जैसा आज तक, नजर न आया खेत ! |
| कुछ भी बो कर देख लो, मिलता सूद समेत !! | |
| 101 | चरण वन्दना से करूँ,शुरूआत मैं आज ! |
| गुरु प्रताप से ही बने, मेरे सारे काज || | |
| 102 | स्वागत है गुरुदेव का, दिल में सौ-सौ बार | |
| विद्या का जिनसे मिला,मुझे श्रेष्ठ उपहार || | |
| 103 | मेरी है शुभकामना, जियें साल सौ आप | |
| जीवन यह चलता रहे, होता रहे मिलाप || | |
| 104 | सरस्वती से हो गया ,तब से रिश्ता खास ! |
| बुरे वक्त में जब घिरा,लक्ष्मी रही न पास !! | |
| 105 | जिसको देखो कर रहा, हरियाली काअंत ! |
| आँखें अपनी मूँद कर, रोये आज बसंत ! | |
| 106 | पुरवाई सँग झूमती,.. शाखें कर शृंगार ! |
| लेती है अँगडाइयाँ ,ज्यों अलबेली नार !! | |
| 107 | आई है ऋतु प्रेम की,..... आया है ऋतुराज ! |
| बन बैठी है नायिका ,सजधज कुदरत आज !! | |
| 108 | सर्दी-गर्मी मिल गए , बदल गया परिवेश ! |
| शीतल मंद सुगंध से, महके सभी "रमेश" !! | |
| 109 | थी कोसों की दूरियाँ, मगर लगी वो पास ! |
| शायद कहते हैं इसे, प्यार भरा अहसास !! | |
| 110 | रहा नहीं वो गाँव अब , ..रहे नहीं वे लोग ! |
| मित्र आज देहात को, लगा शहर का रोग !! | |
| 111 | चढ़े खिलौनों के जहाँ, ...आसमान में भाव ! |
| निर्धन ने तैयार की, फिर कागज़ की नाव !! | |
| 112 | सच्चाई का इक दफा, लिया हाथ जो थाम ! |
| उसका सारी उम्र फिर,.. पड़े चुकाना दाम !! | |
| 113 | टनों लकडियाँ फूँक दी,किॆए कई अभिषेक ! |
| नही लगाया आपने,.... वृक्ष कभी पर एक !! | |
| 114 | अपने जीवन काल में, करो काम इक नेक ! |
| जन्मदिवस पर तुम स्वयं ,वृक्ष लगाओ एक !! | |
| 115 | सभी खड़े इक नाव पर, थाम झूठ का हाथ ! |
| गलती का यह ठीकरा ,फोड़ें किसके माथ !! | |
| 116 | किया अकारण जल अगर, इस पीढ़ी ने व्यर्थ ! |
| कल होगा सूखा यहाँ,..... होगा बड़ा अनर्थ !! | |
| 117 | बेहूदा बातें कहीं, .........बोली तुच्छ जुबान ! |
| वतन परस्ती से विलग,जब-तब दिए बयान !! | |
| 118 | बुरा रोग संदेह का, छीने चैन करार ! |
| मिट जाती हैं जिंदगी,पटती नही दरार !! | |
| 119 | बिगडें सदा किसान के,......अनायास हालात ! |
| पकी फसल पर जब कभी, गिर जाये बरसात !! | |
| 120 | कहने को तो देश है,..अपना कृषक प्रधान! |
| क्यों मरते हैं भूख से,फिर भी यहाँ किसान! ! | |
| 121 | मेरी सच्ची बात का ,.......ऐसा मिला इनाम ! |
| कुछ ने आँखे फेर ली, कुछ ने किया प्रणाम !! | |
| 122 | कर्मों का हो आइना, सम्मुख सदा "रमेश"! |
| देने से पहले कहीं, .......कोई भी उपदेश !! | |
| 123 | शायर है गुमनाम औ,..... गीतकार अज्ञात ! |
| गायक गा गाकर जिन्हें, हुए विश्व विख्यात !! | |
| 124 | उसकी चुप्पी से बचो, जन पाओ गुणवान । |
| मीठी बातों से डरो , बतलाती अज्ञान ।। | |
| .................................................... | |
| 125 | ऊँचे पद से हो नही, कभी बड़ा इंसान | |
| उसकी अपनी खूबियाँ, करती उसे महान ॥ | |
| .................................................... | |
| 126 | फितरत यही जमीन की, लेती सब कुछ सोख! |
| धर्म निभाती नारि का, धरती माँ की कोख!. | |
| ……………………………………………………………………. | |
| 127 | पाप-पुण्य बिन भेद के, धरती माँ की कोख | |
| देती जीवनधन सदा, धरती माँ की कोख । | |
| ........................................................... | |
| 128 | उसकी चुप्पी से बचो, जन पाओ गुणवान । |
| मीठी बातों से डरो , बतलाती अज्ञान ।। | |
| .................................................. | |
| 129 | ऊँचे पद से हो नही, कभी बड़ा इंसान | |
| उसकी अपनी खूबियाँ, करती उसे महान ॥ | |
| ........................................................... | |
| 130 | जीवन मे उपलब्धियां, देती उच्च मुकाम! |
| होनहार संतान से, होता जग में नाम ॥ | |
| ---------------------------------------------------- | |
| 131 | माँ को ही गर दे दिया, उसने उलट जवाब I |
| तो फिर उसका व्यर्थ है, पढ़ना चार किताब II | |
| ........................................................ | |
| 132 | गुस्सा हरदम स्वास्थ का, करता है नुकसान I |
| गाँठ बाँध लो आज से, सदा रखेंगे ध्यान II | |
| ..................................................... | |
| 133 | चाहे रहे गरीब वो,चाहे रहे कुलीन ! |
| दो गज ही मिलती सदा,जाते समय जमीन | |
| ........................................................ | |
| 134 | इत देखूं किरदार या, उत देखूं परिवार / |
| दोनों जीवन की धुरी, दोनों से संसार // | |
| ..................................................... | |
| 135 | किसी विवादित बात पर, बढ़ता जब उन्माद | |
| सा रे गा मा पा नहीं, गूँजे वहाँ निषाद | | |
| ......................................................... | |
| 136 | दूध दही घी छाछ सब, उसके स्वास्थ्य सहाय। |
| जिसके द्वारे नित्य ही, रम्भाये इक गाय ।। | |
| ...................................................... | |
| 137 | अगर करोगे स्वार्थ वश,कभी किसी से प्रीत! |
| निकलेगा परिणाम फिर,निश्चित ही विपरीत!!् | |
| ----------------------------------------------------- | |
| 138 | मन को दृढ निर्मल रखो, कहता यह संसार । |
| मन के जीते जीत हो, मन के हारे हार ।। | |
| ………………………………………………………………… | |
| 139 | सोचो इतना ही फकत , करना है सद काम । |
| निकलेगा तब खुद ब खुद, सुखद-सुखद परिणाम ।। | |
| ----------------------------------------------------- | |
| 140 | शायर है गुमनाम औ, गीतकार अज्ञात | |
| गायक गा गाकर जिन्हें, हुए विश्व विख्यात ॥ | |
| ................................................... | |
| 141 | लिया हुआ बेकार है, दिया नहीं जो ज्ञान | |
| होता है दुर्गन्धमय,......बासे नीर समान ॥ | |
| ............................................................ | |
| 142 | बना सुदामा मैं प्रभो,..........खोजूं सत्य चरित्र | |
| कलियुग में भी श्याम सा, सीधा सच्चा मित्र || | |
| 143 | कृष्ण सुदामा सी कहां,...... रही मित्रता आज | |
| कहाँ रहा किस मित्र का, मेरे दिल पर राज ॥ रमेश शर्मा |
Monday, 1 August 2016
दोहे रमेश के
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