Thursday 15 December 2016

दोहे रमेश के

कहने को तेईस हैं,...........दोहों के प्रारूप !
करे भावना व्यक्त हर, कवि.अपने अनुरूप !!

क्या मिलना उस शख्स से,मिल के आए लाज !
बजता हरदम बेसुरा ,......... फूटा जैसे साज !!
रमेश शर्मा.

Monday 5 December 2016

दोहे रमेश के

माँ से बेटा हर समय, करे जहाँ पर क्लेश !
उस घर मे होती नही, बरकत कभी रमेश !!

बचपन मे जिसके लिए, लडती थी औलाद ! 
उस माँ को करती नही, वही आजकल याद ! !
आपस मे लडती रहे,....जहाँ परस्पर डाल !
वहाँ वृक्ष की मूल का, क्या होगा फिर हाल!!
सही गलत के तथ्य का,रहे न उनको बोध!
होता काम विपक्ष का,करते रहो विरोध! !
नाजायज जायज लगे, जायज लगे फिजूल !
राजनीति बदरंग यह, ......इसमें कहाँ उसूल !!
उनको उनकी भावना,...खुद ही रही कचोट!
नीयत मे जिनकी सदा, भरा हुआ हो खोट !!
आती हो जिनमे सदा,जलने की दुर्गन्ध ! 
ऐसों से रखना नहीं, कभी मित्र सम्बन्ध ! !
दिखें हमें साहित्य मे, ऐसे भी कुछ नाम ! 
राजनीति का कर रहे ,बडा बखूबी काम !!
रुके न भ्रस्टाचार का,वहाँ कभी व्यवसाय!
जहाँ तंत्र ही भ्रष्ट हो, ..करिए लाख उपाय!!
संसद के हर सत्र में, मचता हाहाकार !
नेता सारे मौज मे,...जनता है लाचार! !
जन धन खातों मे हुई,रुपयों की बौछार !
कहाँ गरीबी देश मे, सोचो करो विचार ! !
करें किनारा आजकल,मुझसे ही कुछ यार! 
हुआ हजारी नोट सा,..अपना भी किरदार! !
मेरा त्यों ही छोड कर,......चले गये वो साथ ! 
दुखती रग पर रख दिया,उनकी ज्यों ही हाथ! !
भारत माँ को हो रहा, ..इसका बडा मलाल! 
उसके हुए शहीद फिर,सीमा पर कुछ लाल!!
रिश्तों मे चलता नही,हरगिज मित्र जुगाड! 
राई का जैसे कभी, ...टिकता नही पहाड !!
किया सियासत का कभी,नही मित्र व्यवसाय!
लिखती है वो ही कलम,.......मेरी है जो राय! !
लिखना मेरा शौक है,नही मित्र व्यवसाय !
मेरी अपनी सोच है,......मेरी अपनी राय! !
संसद मे सरकार के,. वे ही खडे विरुद्ध !
नोट बंद पर है नही,नीयत जिनकी शुद्ध !!
करें समर्थन बंद का,वो ही आज रमेश!
नहीं चाहते मुक्त हो , कालेधन से देश !!
नई नीति सरकार की,उनको लगी न ठीक!
काले धन की दौड मे,..वो जो रहे शऱीक!!
रमेश शर्मा.